आज अचानक सफाई करते वक़्त मेरी नज़र एक कोने में पड़ी एक बोतल पर पड़ी| उसे देख एक अजीब सा खयाल मुझे घेरने लगा| इस बोतल की भी क्या ज़िंदगी है? इसका अपना कोई नाम नहीं , जिसका लेबल इस पर चिपका दो वही उसकी पहचान बन जाता है, और वही उसका नाम बन जाता है| जैसे हम जब एक डिटोल की बोटल खरदीते है, तो वो आती तो डिटोल बन कर है पर डिटोल के खत्म होते ही वो या तो किसी तेल की बोतल में बादल जाती है या फिर कुछ और| जब चाहा जैसे चाहा वैसे उसका इस्तेमाल कर लिया या नाम दे दिया| वैसे तो ये बहुत आम से बात है, मै कोई विचित्र या नयी बात नहीं कर रही| पर सोचो यदि उस बोतल का भी कोई मन होता, तो उसे कैसा लगता|
कई दीनो तक वो घर एक कोने में पड़ी रहती है| उसका इस्तेमाल करके ,शायद बड़ी बेरुखी से हम उसे एक तरफ रख देते होंगे| कभी पलट कर देखते भी नहीं होंगे की हमने उसे सही से रखा भी या नहीं| क्या हम रोज़ उसके साफ सफाई करते है या नहीं ? वो सारा दिन एक ही जगह पर पड़े पड़े बोर हो जाती होगी ना| उसका मन भी तो करता होगा की कभी किचन में, तो कभी बाल्कनी में जाये| थोड़ी देर सोफ़े पे आराम से बैठे कर टीवी देखे, या कभी कोई म्यूजिक जो उसे बहुत पसंद हो उसे सुने बिलकुल हमारी ही तरहा| वो तो बस केवल राह देखती होगी, की कोई तो आए और उसे इस जगह से दूसरी जगह ले जाये|हर पल उसे एक इंतज़ार ही रेहता होगा | सोचो ज़रा उसके दुख के बारे में, की वो कितना ज़्यादा निर्भर है अपनी छोटी सी खुशी पूरी करने के लिए|
ऐसे ही अनेक ख्यालों में उसके न जाने कितने ही दिन बीत जाते होंगे| उसे ये भय भी सताता होगा की आज तो वो किसी काम की है इसीलिए इस घर में रह रही है| कल जब उसकी किसी को ज़रूरत नहीं होगी, तब उसका क्या होगा| अपने इस अंजाम को सोच उसका दिल भी तो दहल जाता होगा, जैसे हमारा दिल ये सोच कर दहल जाता है, की आज तो हम चलफिर रहे है| घर का सारा काम कर रहे है, कमा रहे है, बच्चों की परवरिश के लिए सब कुछ कर रहे है और कर सकते है| कल जब वक़्त और हालात बादल जाएंगे तब क्या होगा| जब हम अपने ही कामों के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाएगे तब कया होगा?
कल जब उसकी ज़रूरत समप्त हो जाएगी, या फिर वो आज जीतनी आकर्षक है उतनी आकर्षक नहीं रहेगी तब उसके साथ क्या होगा | या तो उसे किसी कूड़ेदान में फेक दिया जाएगा, या फिर कोई कबाड़ीवाला उसे ले जाएगा | अपने इतने दुखद अंत को सोच उसकी आँखें भी तो छलक़ती होगी| और यदि कोई समझदार हुआ तो वो उसका रूप बदल कर, उसे किसी न किसी काम का ज़रूर बना देगा| हो सकता है वो उसे पहले से भी अधिक सुंदर और उपयोगी बना दे | एक इस उम्मीद से उसे थोडी तसल्ली ज़रूर मिलती है | और यदि ऐसा हो जाएगा, तो उसे इस घर में कुछ और समय रहने का मौका मिल जाएगा| ऐसा भी हो सकता है की उसे किसी और को उपहार में दे दिया जाये, उसके इस नए रूप के साथ |
अचानक ही मुझे उस बोतल से एक लगाव सा महसूस होने लगा, इतने समय से वो इस घर में थी पर ऐसा मुझे कभी भी नहीं महसूस हुआ उसके लिए, जैसा इस वक़्त हो रहा था| हम भी तो ऐसा ही करते है, एक व्यक्ति जो हमारे बहुत ही करीब होता है, बिलकुल हमारे पास, हमारे साथ रहता है कई सालों तक पर हम उसकी एहमियत या उसके भावनाओ को नज़रअंदाज़ करते रहते है| और ये सिलसिला बहुत समय तक चलता है, फिर एक दिन वो व्यक्ति हमसे दूर बहुत दूर चला जाता है, तब हमे उसकी कमी सताती है, उसकी एहमियत का एहसास होता है| पर तब बहुत देर हो चुकी होती है| इस सोच से मेरी आंखे नम हो गयी| मेंने देखा की मेंने कई दीनो से इस जगह की सफाई तक नहीं की थी, उस बोतल पर धूल मिट्टी, जाले लगे हुए थे| उसकी हालत बहुत बुरी थी| इस बात से मुझे ये भी एहसास हुआ की हमारे जीवन में ऐसे कई एहम रिश्ते या लोग होंगे जिनसे हमने सालों से बात तक नहीं की है, कभी उनका हाल चाल भी नहीं पूछा| उन रिशतों पर भी तो धूल मिट्टी पड गयी होगी, उसकी हालत भी तो बिलकुल इस बोतल की सी हो गयी होगी| मेंने तुरंत ही उसे उठाया, अच्छे से साफ किया और बिलकुल साफ सुथरा कर कर किसी नयी जगह पर रख दिया|
ऐसा करने से मुझे एक अजीब सी खुशी का एहसास हुआ| ऐसा लगा मानो मैने कोई बहुत बड़ा काम कर दिया हो| मेरी इस खुशी को सभी ने महसूस किया, हर कोई मुझसे बार बार पूछने लगा की आज कोई खास बात है क्या? उस दिन मैने उन सबको भी कॉल किया जिन्हे शायद मेंने कई महीनो या यूं कहे सालों से कॉल नहीं किया था| मेरी आवाज़ सुन कर, मुझसे बात कर वे सब भी बहुत खुश हुए|
सही मायने में मनुष्य एक बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति है, क्यूंकी भगवान ने हमे दिल दिया है| ये दिल इंसान को विनम्रता और संवेदनशीलता सिखाता है| दिल बहुत ही पवित्र होता है, भावुकता पैदा करता है, प्रेम उत्पन करता है दूसरों के प्रति| हमे खुद को और दूसरों को सदा ये याद दिलाना चाहिए की दिल की बात मान लेनी चाहिए| जिस तरहा दिल पवित्र होता है उसी तरहा दिल के रिश्ते भी पवित्र होते है|
गुरमीत मल्होत्रा
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